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कायाकल्पकेन्द्रम् में हुआ प्रोफेसर ओपी मिश्र की ‘दर्द के ग्लेशियर’ पुस्तक का लोकार्पण।

कायाकल्पकेन्द्रम् में हुआ प्रोफेसर ओपी मिश्र की ‘दर्द के ग्लेशियर’ पुस्तक का लोकार्पण।

हरदोई। पुस्तकें ज्ञान का सागर होती हैं। इनको पढ़कर हमारा सामाजिक और मानसिक विकास होता है।

शहीद उद्यान स्थित कायाकल्पकेन्द्रम् में रविवार को प्रो. ओ. पी. मिश्र की पुस्तक ‘दर्द के ग्लेशियर’ (द्वितीय संस्करण) का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर प्रोफेसर मिश्र ने कहा कि इस पुस्तक में उन्होंने बनारस, मथुरा, मुजफ्फरनगर, हरदोई और गोला गोकरननाथ में अध्यापन कार्य करते तथा उन समाजों में रहते हुए अनेक व्यक्तियों,घटनाओं,दृश्यों तथा परिस्थितियों को देखने और परखने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि जिन स्थितियों ने मन-मस्तिष्क को उद्वेलित किया वे प्रस्तुत कविताओं में फूट पड़ीं। कहा ‘दर्द के ग्लेशियर’ में सत्यता और ऐतिहासिकता है।

अध्यक्षता करते हुए प्रो. अखिलेश वाजपेई ने कहा कि प्रोफेसर मिश्र का कार्य स्तुत्य है। उन्होंने कहा कि पुस्तक का शीर्षक ही आकर्षण का कारण बना हुआ है। उन्होंने कहा कि काव्य दर्द का एक हिस्सा होता है। कहा कि इसे भावपूर्ण ढंग से देखें।

लोकार्पण समारोह के आयोजक सीनियर नेचरोपैथ डॉ. राजेश मिश्र ने कहा कि मनुष्य को सामाजिक जीवन जीने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है। कहा ज्ञान पुस्तकों में भरा हुआ है। पुस्तक खोलें और पढ़ें। कहा विद्वानों को पढ़ें और अच्छा साहित्य पढ़ें। कार्यक्रम के आरंभ में सुशील वर्मा ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। श्रवण कुमार मिश्र ‘राही’ ने आभार व्यक्त किया। 

डॉ अभिषेक पाण्डेय, डॉ वीरेश शुक्ल, मनीष कुमार मिश्र, शिवकुमार, गोविन्द गुप्ता, सोनू गुप्ता, मनोज मिश्र, शिवकुमार, पुनीत गुप्ता, अनिल कुमार सिंहलक्ष्मीकांत मिश्र, ज्योति गुप्ता, दीपाली,अनामिका व अन्य लोग उपस्थित रहे।

सुधांशु मिश्र

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